"राजस्थान की इतिहास"
- राजस्थान की इतिहास को हम तीन भाग में बांट सकते हैं
1. प्राचीन काल।
2. मध्य काल।
3. आधुनिक काल।
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1. प्राचीन काल -
प्राचीन काल में राजस्थान
राजस्थान का इतिहास प्रागैतिहासिक काल से शुरू होता है। आज से करीब एक लाख वर्ष पहले मनुष्य मुख्यतः बनास नदी के किनारे या अरावली के उस पार की नदियों के किनारे निवास करता था। ... ईसा पूर्व 3000 से 1000 के बीच यहाँ की संस्कृति सिंधु घाटी सभ्यता एवं अन्य मानव सभ्यताएँ थी।
2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिंधु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। भील और मीना जनजाति इस क्षेत्र में रहने के लिए सबसे पहले आए थे। प्राचीन समय में राजस्थान में आदिवासी कबीलो का शासन था। 2500 ईसा पूर्व से पहले राजस्थान बसा हुआ था और उत्तरी राजस्थान में सिन्धु घाटी सभ्यता की नींव रखी थी। सबसे पहले इन क्षैत्रो में भील और मीणा जनजाति ही रहने आए थे।
30 मार्च 1949 को भारत का एक ऐसा प्रांत बना, जिसमें तत्कालीन राजपूताना की ताकतवर रियासतें विलीन हुईं। भरतपुर के जाट शासकों ने भी अपनी रियासत के विलय राजस्थान में किया था। राजस्थान शब्द का अर्थ है: 'राजाओं का स्थान' क्योंकि यहां अहीर,गुर्जर, राजपूत, मौर्य, जाट आदि ने पहले राज किया था।
राजस्थान के प्राचीन क्षेत्र एवं उनका वर्तमान नाम, जिले
यौद्धैय – श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ के पास का क्षेत्र
अहिच्छत्रपुर – नागौर
गुर्जरत्रा – जोधपुर पाली
वल्ल/दुंगल/माड – जैसलमेर
स्वर्णगिरि – जालोर
चंद्रावती – आबू
शिव/मेदपाट या मेवाड़ – उदयपुर चित्तौड़
वागड़ – डूंगरपुर बाँसवाड़ा
कुरू – अलवर
शूरसेन/ब्रजभूमि – भरतपुर करौली धौलपुर
हय/हाड़ौती – कोटा बूँदी झालावाड़
विराट/बैराठ – अलवर जयपुर
जांगल – बीकानेर जोधपुर
शाकम्भरी – सांभर
ढूंढाड़ – जयपुर टौंक
मालव देश – प्रतापगढ़ व झालावाड़
आलौर – अलवर
कांठल – प्रतापगढ़
मत्स्य प्रदेश – भरतपुर अलवर का क्षेत्र
गोपालपाल – करौली
आर्बुद प्रदेश – सिरोही
गोंडवाड़ा – जालोर व पाली का कुछ भाग
ब्रजनगर – झालरापाटन